गाय का दूध और आयुर्वेद – Cow Milk according Ayurved
आयुर्वेद के अनुसार गाय का दूध पाचन के लिए इतना अनुकूल होता है कि उसे अमृत कहा जाता है। यहाँ तक कि नवजात शिशु को माँ का दूध उपलब्ध ना हो तो उसे गाय का दूध दिया जा सकता है।
आयुर्वेद में गाय के दूध को रसायन की संज्ञा दी गई है। रसायन उस दवा या खाद्य पदार्थ को कहते हैं जो शरीर के लिए समान रूप से लाभकारी होता है जैसे च्यवनप्राश एक रसायन है। आयुर्वेद की कई दवा बनाने में गाय के ही दूध का उपयोग होता है जैसे – क्षीरबला तेल , पञ्चगव्य घृत , अमृतप्राश घृत आदि।
गाय का दूध वात दोष तथा पित्त दोष को मिटाता है। वात दोष के कारण दिमाग और नर्वस सिस्टम की कार्य क्षमता प्रभावित हो सकती है। गाय का दूध सप्त धातु की पुष्टि करके ओजस्व यानि कांति को बढ़ाने वाला माना जाता है।
गाय के दूध से फायदे : Cow milk benefits
गाय का दूध प्रोटीन , कैल्शियम , पोटेशियम , फास्फोरस और तथा विटामिन D से भरपूर होता है। इसके अलावा इसमें अन्य कई खनिज , विटामिन और एंटी ऑक्सीडेंट भी होते हैं। गाय के दूध में फैट तथा कैलोरी कम होते हैं।
गाय का दूध पीने वाले व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है और उसे पेट की गड़बड़ी होने की संभावना कम होती है। यह दिमाग , त्वचा , आँखें , ह्रदय और रक्त आदि के लिए टोनिक का काम करता है। गाय का दूध और गाय का घी दिमाग के लिए सर्वश्रेष्ठ टोनिक साबित हो सकते हैं।
गाय का दूध मेधा शक्ति तथा स्मरण शक्ति को बढ़ाता है। गाय का दूध नियमित पीने वाले बच्चे परीक्षा में अच्छी सफलता पाते हैं।
गाय का दूध कौनसा देसी नस्ल या विदेशी नस्ल
Desi Cow or jersey and HF
यहाँ उल्लेखनीय है कि आयुर्वेद में गाय का मतलब देसी नस्ल की गाय से है ना कि विदेशी नस्ल की गाय से। देसी गाय यहाँ के वातावरण के अनुसार ढली हुई होती है इसलिए बीमार कम होती हैं और इनकी प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। इसके अलावा देसी गाय की गाय दूध कम भले ही दे परन्तु इनके दूध में लाभदायक पोषक तत्व अधिक होते हैं।
इन दिनों गाय का दूध अधिकतर विदेशी नस्ल की गायों जैसे जर्सी या होल्स्टीन आदि का उपलब्ध होता है क्योंकि ये अधिक दूध देती हैं लेकिन अधिक उत्पादन के कारण दूध की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
विदेशी गायों के लिए यहाँ का मौसम अनूकुल नहीं होता है। इसलिए यहाँ की जलवायु में बचा कर रखने के लिए उन्हें कई प्रकार के हार्मोन तथा एंटी बायोटिक के टीके आदि लगाने पड़ते हैं जिसका असर दूध पर पड़ता है।
वर्तमान में A1 तथा A2 वाले दूध पर भी बहस जारी है। जर्सी तथा होलिस्टिन जैसी विदेशी गाय के दूध में A1 अधिक पाया जाया है। जब A1 नामक यह प्रोटीन पेट में जाकर पचता है तो BCM 7 ( bitacalso morfin 7 ) नामक तत्व बनाता है। यह तत्व टाइप 1 डायबिटीज , कोरोनरी हार्ट डिजीज , धमनियों में खून जमना , साइजोफ्रेनिया , ऑटिज्म आदि बीमारियों का कारण बन सकता है।
देसी गाय के दूध में A2 नामक प्रोटीन अधिक होता है जो लाभदायक होता है इसके अतिरिक्त CLA कोंजुगेटेड लिओनिक एसिड तथा ओमेगा 3 फैटी एसिड जैसे लाभदायक तत्व पाए जाते हैं।
देसी गाय में गुजरात की गीर गाय , राजस्थान की थारपारकर तथा आंध्रप्रदेश की ओंगोल नस्ल विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इनके अलावा कांकरेज तथा साहिवाल आदि भी अच्छी नस्ल की भारतीय गाय हैं। इन गायों के विकास पर अब वैज्ञानिक अधिक ध्यान दे रहे हैं। इसमें सरकार भी पूरा सहयोग कर रही है।
गाय के दूध की आश्चर्यजनक विशेषता
Cow Milk Speciality
IIT के प्रोफेसर PMV सुब्बाराव ने गाय पर विशेष अध्ययन करके निम्न विचार व्यक्त किये हैं –
गाय में लगभग तीस हजार जींस पाए जाते हैं जो कि ऐसे एंजाइम का निर्माण करते हैं जो साधारण घास को पचा कर विलक्षण दूध का निर्माण करते हैं। इस पाचन प्रक्रिया में गाय के पेट में स्थित आमाशय के चारों हिस्से मदद करते हैं।
इसके अलावा ताजा वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि गाय के मस्तिष्क में क्लेथरिन नामक प्रोटीन पाया जाता है जो सूरज की किरणों से वर्तमान में बनाये जाने वाले सोलर सेल से 10 गुना अधिक ऊर्जा पैदा कर सकता है।
गाय का मष्तिष्क और उसका पेट ( Ryuman ) एक नाड़ी मंडल से जुड़ा होता है जिसे सूर्य नाड़ी मंडल कहते हैं। इस सूर्य नाड़ी मंडल से गाय के दूध में एक अलग ही प्रभाव उत्पन्न होता है तथा इसके कारण ही गाय के दूध में विटामिन D भी पाया जाता है।
इसके अलावा गाय के पेट में पाया जाने वाला रूमन फ्लूड माइक्रोब रिच फ्लूड होता है। वैज्ञानिकों ने इस फ्लूड को एक सेल के लिए कन्वेंशनल हाइड्रोजन बेस्ड फ्लूड की जगह उपयोग किया , तो पाया कि यह उससे आठ गुना अधिक शक्तिशाली होता है।
इस प्रकार गाय खुद अपने आप में एक विलक्षण और अनूठा प्राणी है तो गाय का दूध तो विलक्षण होगा ही। अतः संभव हो तो शुद्ध देसी गाय के दूध का सेवन करके प्रकृति की इस अनमोल उपहार का लाभ अवश्य लेना चाहिए।
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