बैंगन किसे और कब नही खाना चाहिए – When to Avoid Brinjal - Shreem Ayurvedic

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Thursday, August 2, 2018

बैंगन किसे और कब नही खाना चाहिए – When to Avoid Brinjal

बैंगन Baingan ( Brinjal ) एक सदाबहार सब्जी है और हमेशा उपलब्ध रहती है। सर्दी के मौसम में इसे खाना फायदेमंद होता है। इसमें कई ऐसे लाभदायक पोषक तत्व होते हैं जो अन्य सब्जी में नहीं होते। लेकिन कुछ लोगों को बैंगन खाने से दिक्कत हो सकती है। आइये जानें बैंगन के फायदे नुकसान और पोषक तत्व।

बैंगन दुनिया भर में पैदा होता है और खाया जाता है। भारत चीन के बाद इसका दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।  आंध्र प्रदेश , महाराष्ट्र , कर्नाटक , उड़ीसा , मध्य प्रदेश आदि इसके मुख्य उत्पादक राज्य हैं। विदेश में इसे एग प्लांट Egg Plant या ओबेरजिन Aubergine  के नाम से भी जाना जाता है।बैंगन कब नहीं खाना चाहिए

यह बैंगनी रंग के अलावा हरे व सफ़ेद रंग में भी मिलता है , लेकिन बैगनी रंग का बैगन अधिक लाभदायक होता है।  यह छोटा, बड़ा, लम्बा, पतला बहुत से आकार में मिलता है। बड़ा बैंगन विशेष तौर पर भर्ता बनाने में काम आता है।

इसे भाप में पकाकर ( Steam ) , भूनकर ( Roast ) , उबालकर ( Boil ) या तल कर खाया जा सकता है। इसे भाप में पकाकर खाना अधिक लाभदायक होता है क्योंकि इससे एंटी-ओक्सिडेंट नष्ट नहीं होते हैं। एंटी ओक्सिडेंट के कारण ही यह फायदेमंद होता है और इन्ही के कारण इसका स्वाद कुछ कड़वा होता है। 

सर्दी में आने वाले बैगन अच्छे और फायदेमंद होते हैं। गर्मी में आने वाले ज्यादा बीज वाले बैंगन का उपयोग नहीं करना चाहिए।



बैंगन आयुर्वेद के अनुसार – Brinjal According Ayurved

आयुर्वेद के अनुसार बैंगन उत्तम और श्रेष्ठ सब्जी होती है। यदि बैगन की सब्जी ज्वार या बाजरे की रोटी के साथ खाई जाये तो अधिक लाभदायक होती है।

बैंगन रूची बढ़ाता है , पित्त पैदा करता है , धातु को बढ़ाता है , नींद लाता है , कफ व खांसी बढ़ा सकता है। आग पर भुना बैगन का भरता बना कर खाने से वात और पित्त शांत होता है।

तेल और हींग में बनी हुई बैगन की सब्जी वायु प्रकृति वाले लोगों के लिए लाभदायक होती है। कफ प्रकृति वाले तथा अन्य सब के लिए सर्दी के मौसम में बैंगन का सेवन गुणकारी होता है।

बैंगन आमाशय को ताकत देता है , पेशाब खुल कर लाता है , चोट या मोच आने पर हल्दी या आंबाहल्दी के साथ इसकी सिकाई करने से आराम मिलता है। शरद ऋतू में पित्त का प्रकोप होता है अतः इस समय बैगन नहीं खाने चाहिए।


बैंगन के पोषक तत्व – Nutrients in Brinjal 

बैंगन का रंग उसमे पाए जाने नेसुनिन Nasunin  नामक पर्पल एंथोसायनिन Anthocyanin तत्व के कारण होता है जो एक उच्च गुणवत्ता का एंटी-ओक्सीडेंट है। बैंगन के जितनी मात्रा में यह तत्व किसी अन्य सब्जी या फल में नहीं पाया जाता है। नेसुनिन तत्व की अनोखी विशेषताएं बैंगन को लाभदायक बनाती हैं।

बैंगन में एक अन्य लाभदायक एंटी-ओक्सीडेंट क्लोरोजेनिक एसिड chlorogenic acid पाया जाता है।  यह तत्व डायबिटीज और कैंसर जैसी बीमारी का खतरा कम करता है। इसके अलावा यह तत्व वजन कम करने , ब्लड प्रेशर कम करने तथा मूड अच्छा करने में भी सहायक होता है । यह तत्व सेब , नाशपाती , टमाटर तथा आलू में भी पाया जाता है। यह एंटी-ओक्सीडेंट कैंसर की गांठ को बढ़ने से रोकने में मदद कर सकता है .

इनके अलावा बैंगन में कई विटामिन और खनिज होते हैं। इसमें विटामिन C , विटामिन K , विटामिन B1 , B3 ,  B6 तथा मैग्नीशियम , फास्फोरस , कैल्शियम , सोडियम , कॉपर , पोटेशियम , मैगनीज , जिंक आदि तत्व पाए जाते हैं।


बैंगन के फायदे – Benefits of Brinjal 

बैंगन के छिलके में पाया जाने वाला तत्व नेनुसिन एक अच्छा एंटी-ओक्सीडेंट है। यह हानिकारक फ्री रेडिकल से बचाव करता है , पोषक तत्वों के प्रवाह तथा विषैले तत्वों के निकास में सहायक होता है।

फ्री रेडिकल ही उम्र बढ़ने पर शारीरिक और मानसिक कमजोरी का कारण बनते हैं। बैगन के इस तत्व का मस्तिष्क पर विशेष रूप से अच्छा प्रभाव होता है जिसके कारण यह स्मरण शक्ति बढ़ाने में सहायक होता है तथा उम्र बढ़ने पर होने वाली दिमागी कमजोरी से बचाता है।

इसके अलावा यह तत्व रक्त में कोलेस्ट्रोल जमने से रोकता है तथा यह रक्त शिराओं को मुलायम बनाता है जिसके कारण ह्रदय रोग से बचाव होता है।

नेनुसिन नई रक्तशिरा बनने में बाधा उत्पन्न करता है। कैंसर को बढ़ने के लिए नई रक्त शिरा की जरुरत होती है। इस तरह यह कैंसर को बढ़ने से रोकने में सहायक होता है।

बैंगन में पाया जाने वाला Chlorogenic acid नामक तत्व LDL कोलेस्ट्रोल कम करता है तथा इसमें एंटी माइक्रोबिअल , एंटीवायरल गुण होते हैं , इसके कारण यह स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होता है।

बैंगन में फाइबर अच्छी मात्रा में होता है। फाइबर युक्त भोजन वजन कम करने में सहायक होते हैं।  इससे पाचन तंत्र को मदद मिलती है तथा वजन कंट्रोल करने में सहायता मिलती है।

बैंगन में पाए जाने वाले विटामिन तथा खनिज की लाभदायक तत्वों में गिनती होती जो शरीर के लिए आवश्यक होते हैं। विटामिन B1 , B3 , B6 युक्त चीजें भोजन में शामिल करनी जरुरी होती हैं। बैगन से ये सभी तत्व मिलते हैं।


बैगन के नुकसान – Side Effects of Brinjal

बैंगन में पाया जाने वाला नेनूसिन ही विशेष परिस्थिति में नुकसानदायक भी साबित हो सकता है। यह तत्व आयरन का कीलेशन Chelation कर सकता है। शरीर से धातु तत्व को निकालने की प्रक्रिया को कीलेशन कहते हैं। अर्थात यह शरीर से लोह तत्व को निकालकर कम कर सकता है।

अतः जिन महिलाओं को खून की कमी हो उन्हें बैंगन का उपयोग अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए , विशेषकर माहवारी के समय। इसके अलावा नकसीर या खुनी बवासीर की समस्या से ग्रस्त या अक्सर रक्तदान करने वाले व्यक्ति को भी ज्यादा बैगन नहीं खाने चाहिए।

नेनुसिन के कारण नई रक्तशिरा Blood Vessels बनने में बाधा उत्पन्न होने की प्रक्रिया गर्भावस्था में बढ़ते भ्रूण के लिए हानिकारक हो सकती है।

अधिक चोट को भरने के लिए तथा बढ़ते बच्चों में भी नई रक्त शिराएँ बनती है। ऐसे में यह तत्व नुकसान देह साबित हो सकता है। अतः गर्भावस्था में महिलाओं को , बच्चों को तथा अधिक चोट लगे व्यक्ति को बैगन का ज्यादा उपयोग नहीं करना चाहिए।

बैंगन में ओक्जेलेट पाया जाता है अतः किडनी में पथरी की शिकायत वाले लोगों को इसे कम मात्रा में खाना चाहिए।  ओक्जेलेट के कारण कैल्शियम का अवशोषण भी कम होता है।  कैल्शियम की कमी से हड्डी और दांत कमजोर हो सकते हैं।

बैंगन नाईटशेड फेमिली का सदस्य है। इनमे सोलेनिन Solanine नामक विषेला तत्व हो सकता है। इसकी अधिक मात्रा से पेट दर्द , उल्टी , सिरदर्द , खुजली या जोड़ों में दर्द की समस्या हो सकती है। इसके अलावा यह तत्व थायराइड की परेशानी बढ़ा सकता है। अतः इस प्रकार की परेशानी हो तो बैगन कम ही खाना चाहिए।

नाईटशेड फेमिली के मुख्य सदस्य आलू , टमाटर और बैंगन आदि का परहेज करने से कई लोगों को अर्थराइटिस में बहुत आराम मिलता है

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