वर्षा ऋतु के रोग और आयुर्वेदिक घरेलू उपचार | Rainy Season Diseases and Ayurvedic Home Remedies - Shreem Ayurvedic

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Thursday, July 5, 2018

वर्षा ऋतु के रोग और आयुर्वेदिक घरेलू उपचार | Rainy Season Diseases and Ayurvedic Home Remedies


तपती गर्मी के बाद बारिश का मौसम किसी अलोकिक अनुभूति से कम नहीं. ग्रीष्मकाल के समाप्ति के बाद तपती हुई धरती पर जब बारीश की रिम-झिम बौछारे गिरती है तो वह तरो ताज़ा तो करती है व हर किसी को इस सुहाने मौसम का पूरा लुफ्त उठाने की इच्छा होती है. पर बरसात अपने साथ कई बीमारीयो को आमंत्रण भी देती है। जिस कारण इस मौसम मे लोग अक्सर बीमार हो जाते है।

हमारा शरीर बरसात के दिनों में ज्यादा संवेदनशील होता है,क्यूंकि बरसात हमारे प्रतिरोधक क्षमता शक्ति को कम करता है ।

बरसात के मौसम में मलेरिया, डेंगू , सर्दी-खांसी, दस्त, उलटी, टाईफ़ोइड, त्वचा रोग,पीलिया इत्यादी अनेक रोग फैलते है। जिस तरह हम बारिश से बचने के लिए छाते के इस्तेमाल करते है ठीक उसी तरह बरसात के मौसम मे फैलने वाली इन बीमारियों से बचने के लिए हमें कुछ एहतियात रूपी छाते का इस्तेमाल करना चाहिए।

हमारा शरीर लगातार एलर्जी,संक्रमणों और अपच समस्याओं से प्रभावित होता है । इसलिए हमें अपने शरीर को इन सभी बीमारियों से दूर रखने का प्रयास करना चाहिए ।

इस मौसम मे नमी भी ज्यादा होती है जिस के कारण हमारे शरीर की पाचन क्षमता भी कमजोर हो जाती है । एक महत्वपूर्ण बात यह कि इस मौसम मे अत्यधिक तैलीय खाने के लोभ से बचना चाहिए । बहुत अधिक सम्भावना है कि हमारा पेट बिगड़ जाए ।

बारिश के मौसम में सेहतमंद रहने के उपाय और कुछ नुस्खे :
बारिश के मौसम मे हमें खाना ही तब खाना चाहिए जब भूख हो , बिना भूख के खाने के परिणाम स्वरूप सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है । हम आपको कुछ नुस्खे यहाँ बता रहे है जिनसे आपकी सेहत बरक़रार रहेगी और आप तरोताजा महसूस करेंगे । . .

वर्षा ऋतू में ऐसे रहें स्वस्थ :
आप सब यह बात तो जानते होंगे की बारिश के समय ऐसे कई रोगाणु पैदा होते है जो हमारे सेहत के लिए हानिकारक साबित हो सकते है , यही नहीं ये रोगाणु डेंगू और मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारियो को भी फैलाते है ।

अगर आपका पाचन तंत्र कमजोर है तो ये बीमारियां आपको बहुत ही आसानी से जकड़ सकती है और फिर इन बीमारियों से पीछा छुड़ाना आसान नहीं होगा ।


इन बीमारियों से बचने के लिए इन खास बातों पर ध्यान बरतना होगा ताकि आप इस सुहाने मौसम का भरपूर आनंद उठा सके ।

फल आपके लिए बेहद लाभदायक साबित होंगे . सेब , आम , अनार और नाशपाती जैसे फल आपके शारीर की उर्जा को बनाये रखने में मदद करते हैं ।

कम नमक का खाना आपके हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है और शरीर में पानी के कमी नहीं होने देता । सूखा खाना जैसे मक्का, मैदा और काबुली चना खाना सेहत के लिऐ लाभदायक होता है ।

पानी को उबाल कर पीना चाहिए ताकि आप अपना बचाव कीटाणुओं से कर सके. पर्याप्त पानी पीने से आपको कमजोरी महसूस नहीं होगी ।

नीम , हल्दी , और मेथी का बराबर सेवन करें,ये संक्रमणों से बचाव करते है । सरसों के तेल के बजाये मक्के के तेल को इस्तेमाल करना लाभदायक होगा ।

त्वचा से सम्बंधित बीमारियों से प्रभावित लोगो को मसालेदार खाना खाने से बचना चाहिए क्यूंकि मसालेदार खाना शरीर के तापमान को बढ़ा देता है जिसके कारण शरीर का रंग ढलने लगता है और शरीर पर चक्कते होने लगते है 

दही का सेवन बंद करें
पहली बारिश के साथ ही दही, मट्ठे का सेवन कम से कम एक माह के लिये बंद कर दें. ये इसलिए क्योंकि बरसात गिरते हीसम प्रकार के वायरस, कीटाणु भी पनपने लगते हैं. जिससे पशुओं का चारा भी दूषित हो जाता है. परिणाम स्वरुप कीटाणुओं के रस भी दूध में आ जाते है. जब हम दही जमाते है तो इन एक कोशिकीय कीटाणुओं को भी पनपने का अवसर मिल जाता है. यदि आप ऐसा करेंगे तो दूध उत्पादों की एलर्जी जिससे मुहांसे व अन्य त्वचा रोग होते है, बचे रहेंगे

पाचन शक्ति बनाये रखें
बरसात के मौसम में, प्रकृति की सब रचनाओं के साथ साथ हमारा पाचन भी कमज़ोर हो जाता है व पेट में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए भोजन के बाद एक चम्मच समभाग अजवाईन, सोया (काली कडवी सौंफ) व सौंफ का भुआ हुआ चूर्ण लें.

ताज़े आहार लें, कम लें
हमेशा ताजे और स्वच्छ सब्जी / फल का सेवन करे। ध्यान रहे की खाने से पहले फल / सब्जी को अच्छे से स्वच्छ पानी से धो कर साफ कर ले। बासी भोजन,पहले से कटे हुए फल तथा दुषित भोजन का सेवन न करे. हमेशा ताजा गरम खाना खाए. इसलिए जरुरी है अधिक तला, भुना खाना न खाया जाए बल्की ऐसा भोजन खाएं जो आसानी से पच जाए.

इस मौसम में सब्जी / फल जल्दी ख़राब हो जाते है इसलिए हमेशा ताजा फल या सब्जी का प्रयोग करे। बरसात के मौसम में हमारी पाचन शक्ति भी मंद हो जाती है। जब भूख लगे तब ही और जितनी भूख हो उतना ही आराम से पचने लायक खाना लेना चाहिए। अधिक ठंडा,खट्टा न खाए। अधिक नमक वाली चीजे जैसे चिप्स, कुरकुरे, चटनी कम खाए क्योंकी इस मौसम मे शरीर मे water retention कि संभावना ज्यादा होती है।

हरे पत्ते के साग व सलाद बंद करें
हरे पत्ते के शाक (साग) सलाद पहले एक माह के लिये बंद कर दें. कारण, यहाँ भी कीटाणुओं से दूषित होने का है. आयुर्वेद में शाक को बरसात में खाना बीमारियों को स्वयं न्योता देना बताया है.

भरपूर पानी का सेवन
वर्षा ऋतु में पसीना भी अधिक निकलता है. ऐसे में जरुरी है की शरीर में पर्याप्त पानी का प्रमाण रखने के लिए भरपूर पानी का सेवन करे। हमेशा उबाल कर ठंडा किया हुआ या फ़िल्टर किये हुए स्वच्छ पानी का सेवन करे। कम से कम १५ मिनट तक पानी अवश्य उबाले। ठंडा पेय पीने की बजाय तुलसी, इलायची की चाय या थोडा गरम पानी पीना ज्यादा फायादेमंद है।

भीगे वस्त्र जूते इत्यादि तुरंत बदलें
कपडे/जूते /चप्पल गीले हो जाने पर तुरंत बदल दे. ज्यादा समय तक गीले कपडे पहनने से फंगल ईत्यादी त्वचा रोग हो सकते है। डायबिटीज के मरीजो को विशेष रूप से अपने पैरो को ज्यादा ख्याल रखना चाहिये।पैर गीले होने पर तुरंत उन्हे साफ कर देना चाहिये।

बारिश से बचाव
बारिश में भीगना सबको पसंद है. लेकिन बारिश में ज्यादा देर तक भीगने से सर्दी-खांसी और बुखार हो सकता है।
बारिश में भीगने पर ज्यादा देर तक बालो को गीला न रखे। अगर आप को अस्थमा है या फिर आपको जल्दी सर्दी-जुखाम-खांसी हो जाती है तो बारिश में न भीगे.

बुजर्गो के लिये विशेष
बदलते मौसम मे बुजर्गो के बिमार होने कि संभावना ज्यादा होती है। इसलिये जरुरी है कि उनके स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रखा जाए। बुजर्ग बारीश मे ज्यादा बाहर न निकले। गरम चाय, कॉफ़ी या सूप पिए। कच्चे फल या सलाद न खाए। खाने मे हल्दी, ईलायची, सौन्फ, काली मिर्च, अदरक का इस्तेमाल करे। इनसे रोगप्रतिकार शक्ति बढती है।

विविध सावधानियां
रात्री मे सोने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करे। अपने घर के आस-पास गंदगी न होने दे। घर के आस-पास के गड्ढों को भर दे।जिससे बारिश का पानी रुककर सडने न पाए। इससे मच्छर उत्पन्न नही होंगे। घर कि अच्छी तरह फ़िनाईल से सफाई करे ताकि मक्खियाँ न आए। बच्चो को बारीश से पूर्व ही Typhoid और Hepatitis के vaccine लगवा दे।

स्ट्रीट फूड से बचें
बाहर का सड़क के किनारे मिलनेवाला या होटल का खाना खाने से पूरी तरह बचना चाहिए। बाहर का खाना खाने से हैजा, दस्त, उलटी, टाईफ़ोइड इत्यादी गंभीर रोग हो सकते है। सड़क के किनारे बेचे जानेवाले चायनिझ फ़ूड, भेल, पानी पूरी यह फ़ूड पॉईजनिंग होने के प्रमुख कारण है। ऐसा भोजन खाया खाएं जो आसानी से पच जाए.

इसका एक अपवाद है. यदि आपका पेट पाचन सही है तो सामने तले कचोडी, मंगोड़े, पकोड़े, का लुत्फ़ उठाया जा सकता है. डीप फ्राइंग से सब कीटाणु नष्ट हो जाते हैं.

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