वीर्य (virya) इस शरीररूपी नगर का एक तरह से राजा ही है | यह वीर्यरूपी राजा यदि पुष्ट है, बलवान् है तो रोगरूपी शत्रु कभी शरीररूपी नगर पर आक्रमण नही करते | जिसका वीर्यरूपी राजा निर्बल है, उस शरीररूपी नगर को कई रोगरूपी शत्रु आकर घेर लेते हैं |
इसीलिए कहा गया है :
मरणं बिन्दोपातेन जीवनं बिन्दुधारणात् |
‘बिन्दुनाश (वीर्यनाश) ही मृत्यु है और बिन्दुरक्षण ही जीवन है |’
आयुर्वेद के अनुसार खाये हुए भोजन का अन्तिम परिणाम वीर्य (virya)होता है और इसका निर्माण बहुत सीमित होता है। एक स्पर्म को बनके परिपक्व होने में करीब 64 दिन या दो महीने लगते है। भोजन से रक्त बनता है और रक्त से ही वीर्य। किसी भी तरह का रोग वीर्य बनने की प्रक्रिया को बाधित कर देता है। शरीर में किसी भी तरह के संक्रमण से वीर्य की गुणवत्ता पर कई महीनो तक प्रभाव रहता है।
इसलिए आयुर्वेद में कुछ भोजनों और औषधीय वनस्पतियाँ बताई गई हैं जिनका सेवन सम्पूर्ण स्वास्थ्य को और विशेष रूप से संतानोंत्पत्ति की क्षमता को बढ़ाता है। यह सभी भोज्य पदार्थ शुक्रल अर्थात स्पर्म बढ़ाने वाले, वाजीकारक रसायन (एंटीएजिंग, टॉनिक) हैं।
शुक्र / वीर्य (virya)बढ़ाने वाले भोजन : virya increase food
अच्छा आहार अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी है। यदि आहार अच्छा नहीं है तो रक्त कम बनेगा। जब रक्त कम बनेगा तो वीर्य भी कम बनेगा। वीर्य कम होने पर काम शक्ति भी कम होगी और कामेच्छा भी। शरीर में शक्ति की कमी होने से भी मस्तिष्क भी सही से काम नहीं करेगा। आइये जाने virya gada karne ke ayurvedic upay व virya vardhak fruits in hindi
भोजन में निम्न पदार्थों का सेवन शरीर में वीर्य Semen improving को बढ़ाता है:
1. मिश्री मिला गाय का दूध
2. गाय का धारोष्ण दूध
3. मक्खन, घी
4. चावल व दूध की खीर
5. उड़द की दाल
6. तुलसी के बीज
7. बादाम का हलवा
8. मीठा अनार
9. प्याज, प्याज का रस घी-शहद के साथ
10. तालमखाना
11. खजूर
12. बादाम
वीर्य (virya)को गाढ़ा करने का भोजन semen thickening food
1. मोचरस
2. सफ़ेद मुसली
3. काली मुसली
4. बबूल का गोंद
5. काले तिल
धातु की कमजोरी व नपुसकता को दूर करने वाले आहार
1. छुहारे को दूध में पकाकर खाना
2. अनार का रस
3. गाय का घी
4. पिस्ता-बादाम, चिलगोजे
5. कस्तूरी
6. केवांच के बीज का चूर्ण
7. अकरकरा
8. सालम मिश्री
9. सोंठ
10. नारियल
11. खीर
12. बादाम का हलवा
13. पिस्ते की बर्फी
ऊपर दिए गए सभी पदार्थ, मीठे, चिकने, बलवर्धक, शक्तिवर्धक, ओज वर्धक, वृष्य और पुष्टिवर्धक हैं। इनका सेवन शरीर को बलवान करता है और वज़न भी बढ़ाता है।
आयुर्वेद की वीर्यवर्धक(virya vardhak) दवाएं Semen/sperm /virya gada karne ki ayurvedic dawa
1. अश्वगंधा चूर्ण Ashwagandha Churna
2. अश्वागंधादि लेहम Ashwagandhadi Lehyam
3. अश्वगंधा घृत Ashwagandha Ghrita
4. अश्वगंधा पाक Asgandh pak
5. अश्वगंधारिष्ट Ashwagandharishta
6. अभ्रक भस्म Abhrak Bhasma
7. बादाम पाक Badam Pak
8. चंद्रप्रभा वटी Chandraprabha vati
9. धातुपौष्टिक चूर्ण Dhatupaushtik Churna
10. दशमूलारिष्ट Dasamularistam
11. द्राक्षरिस्ट Draksharishta
12. कल्याणक घी Kalyanaka Ghrita
13. शिलाजीत रसायन Shilajeet Rasayan
14. सुकुमार घी Sukumara ghritam
15. स्वर्ण भस्म Swarna bhasma
16. शतावरी घी Shatavaryadi Churna
17. मूसली पाक Musli pak
18. केवांच चूर्ण Kevanch beej Churna
वीर्य बढ़ाने के लिए पानी का सेवन भी उचित मात्रा में करना चाहिए। पानी शरीर को ज़रूरी तरल तो देता ही है अपितु पसीने, मूत्र आदि के माध्यम से शरीर से गंदगी को भी दूर करता है। पानी वीर्य को भी बढाता है।
विशेष : अच्युताय हरिओम अश्वगंधा पाक (Achyutaya Hariom Ashwagandha Pak)शक्तिवर्धक, वीर्यवर्धक, स्नायु व मांसपेशियों को ताकत देने वाला एवं कद बढ़ाने वाला एक पौष्टिक रसायन है। यह धातु की कमजोरी, शारीरिक-मानसिक कमजोरी आदि के लिए उत्तम औषधि है। इसके सेवन से शुक्राणुओं की वृद्धि होती है एवं वीर्यदोष दूर होते हैं।
धातु की कमजोरी, स्वप्नदोष, पेशाब के साथ धातु जाना आदि विकारों में इसका प्रयोग बहुत ही लाभदायी है। यह राज्यक्ष्मा(क्षयरोग) में भी लाभदायी है। इसके सेवन से नींद भी अच्छी आती है। यह वातशामक तथा रसायन होने के कारण विस्मृति, यादशक्ति की कमी, उन्माद, मानसिक अवसाद (डिप्रेशन) आदि मनोविकारों में भी लाभदायी है।
दूध के साथ सेवन करने से शरीर में लाल रक्तकणों की वृद्धि होती है, जठराग्नि प्रदीप्त होती है, शरीर में शक्ति आती है व कांति बढ़ती है।
प्राप्ति-स्थान : सभी संत श्री आशारामजी आश्रमों( Sant Shri Asaram Bapu Ji Ashram ) व श्री योग वेदांत सेवा समितियों के सेवाकेंद्र से इसे प्राप्त किया जा सकता है |
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