आज हम आपको बताएँगे कलौंजी के बारे में जो एक प्रकार का बीज होता है जिसका उपयोग हम अपने घरो में तरह तरह के पकवान बनाने में करते है आयुर्वेद में कलौंजी के बारे में कहा गया है कि “कलयुग में धरती पर संजीवनी है| यह अनगिनत रोगों को चुटकियों में ठीक करती है। इसका विवरण आयुर्वेद के पवित्र ग्रंथ में भी मिलता है “मौत को छोड़कर हर मर्ज की दवा है कलौंजी” यही नही इसका उल्लेख सभी धर्मों के पवित्र ग्रंथो में है।
कलौंजी वनस्पति पौधा है जिसके बीज भी होते है और औषधियों के रूप में बीजों का ही प्रयोग किया जाता है। अत: कलौंजी के बीजों को बहुत बारीक पीसकर सिरका, शहद या पानी में मिलाकर उपयोग किया जाता है कलौंजी के बीजों का तेल भी बनाया जाता है जो रोगों के लिए बहुत प्रभावशाली होता है। इसका तेल न मिलने पर कलौंजी से काम चलाया जा सकता है।
आपको बता दे की कलौंजी के तेल में एक अलग प्रकार की चर्बी का टुकड़ा होता है। लिर्नोलेटिक टुकड़ा 60 प्रतिशत और पाश्मेहिक टुकड़ा लगभग 11 प्रतिशत इसमें प्राप्त हैं। यह कार्बनिक तेल को आसानी से पानी के रूप में बदल देता है। अधिकतर कलौंजी के बीजों को ही औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। इसके बीजों में एक सेपोनिन नामक पदार्थ होता है।
इसके बीजों में निजेलीन नामक कडुवा पदार्थ भी होता है। कलौंजी मूत्र लाने वाला, वीर्यपात को ठीक करने वाला और मासिक-धर्म के कष्टों को दूर करने वाला मन गया है। कलौंजी का तेल कफ को नष्ट करने वाला होता है। इसके अलावा यह खून में मौजूद दूषित व अनावश्यक द्रव्य को भी दूर करता है। कलौंजी का तेल सुबह खाली पेट और रात को सोते समय लेने से बहुत से रोग समाप्त होते हैं। गर्भावस्था के समय स्त्री को कलौंजी के तेल का उपयोग नहीं कराना चाहिए इससे गर्भपात होने की सम्भावना रहती है।
कैसे करें इसका सेवन?
सबसे पहले एक छोटा चम्मच कलौंजी को शहद में मिश्रित करे पानी में कलौंजी उबालकर छान लें और इसे पिएँ। दूध में कलौंजी उबाल लें और ठंडा होने दें फिर इस मिश्रण को पिएँ।
कलौंजी के अद्भुत फायदे :
एक अध्ययन के अनुसार मिर्गी से पीड़ित बच्चों में कलौंजी के सत्व का सेवन करने से दौरा कम हो सकता है
100 या 200 मि.ग्रा. कलौंजी के सत्व के दिन में दो बार सेवन से हाइपरटैंशन के मरीजों में ब्लड प्रैशर कम होता है।
रक्तचाप में एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 2 बार पीने से रक्तचाप सामान्य बना रहता है|
जली हुई कलौंजी को हेयर ऑइल में मिलाकर नियमित रूप से सिर पर लगाने से गंजापन दूर हो जाता है और बाल उग आते हैं।
कलौंजी का तेल कान में डालने से कान की सूजन दूर होती है। इससे बहरापन में भी लाभ होता है।
अगर आप सर्दी झुकाम से परेशां है तो कलौंजी के बीजों को सेंककर और कपड़े में लपेटकर सूंघने से और कलौंजी का तेल और जैतून का तेल बराबर की मात्रा में नाक में टपकाने से सर्दी-जुकाम समाप्त होता है। कलौंजी को पानी में उबालकर इसका सत्व पीने से अस्थमा में काफी अच्छा प्रभाव पड़ता है।
सिरके में कलौंजी को पीसकर रात को सोते समय पूरे चेहरे पर लगाएं और सुबह पानी से चेहरे को साफ करने से आपके मुंहासे कुछ दिनों में ही ठीक हो जाते हैं।
No comments:
Post a Comment