स्वस्थ रहना सबसे बड़ा सुख है। कहावत भी है- ‘पहला सुख निरोगी काया’। कोई आदमी तभी अपने जीवन का पूरा आनन्द उठा सकता है, जब वह शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहे। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है। इसलिए मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी शारीरिक स्वास्थ्य अनिवार्य है।
ऋषियों ने कहा है ‘शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्’ अर्थात् यह शरीर ही धर्म का श्रेष्ठ साधन है। यदि हम धर्म में विश्वास रखते हैं और स्वयं को धार्मिक कहते हैं, तो अपने शरीर को स्वस्थ रखना हमारा पहला कर्तव्य है। यदि शरीर स्वस्थ नहीं है, तो जीवन भारस्वरूप हो जाता है
प्रश्न उठता है कि स्वास्थ्य क्या है अर्थात् किस व्यक्ति को हम स्वस्थ कह सकते हैं? साधारण रूप से यह माना जाता है कि किसी प्रकार का शारीरिक और मानसिक रोग न होना ही स्वास्थ्य है। यह एक नकारात्मक परिभाषा है और सत्य के निकट भी है, परन्तु पूरी तरह सत्य नहीं। वास्तव में स्वास्थ्य का सीधा सम्बंध क्रियाशीलता से है। जो व्यक्ति शरीर और मन से पूरी तरह क्रियाशील है, उसे ही पूर्ण स्वस्थ कहा जा सकता है। कोई रोग हो जाने पर क्रियाशीलता में कमी आती है, इसलिए स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है
प्रचलित चिकित्सा पद्धतियों में स्वास्थ्य की कोई सर्वमान्य परिभाषा नहीं दी गई है। ऐलोपैथी और होम्योपैथी के चिकित्सक किसी भी प्रकार के रोग के अभाव को ही स्वास्थ्य मानते हैं. भारतीय रसोई में इलायची के स्वाद की अपनी जगह है. इनमें से बड़ी इलायची जहां भारतीय व्यंजनों का एक प्रमुख मसाला है वहीं आमतौर पर छोटी इलायची को खुशबू व स्वाद के लिए इस्तेमाल किया जाता है. मीठे व्यंजनों में इसका फ्लेवर तो लाजवाब लगता ही है, इलायची वाली चाय भी खूब पसंद की जाती है. वैसे इन खूबियों से इतर सेहत के लिए भी यह लाजवाब है. जानिए क्या हैं इसके फायदे
मुंह की बदबू दूर करने में कारगर छोटी इलायची बेहतरीन माउथ फ्रेशनर है. इसे खाने से मुंह की बदबू दूर होती है. पेट खराब होने या फिर कब्ज होने की वजह से मुंह से बदबू आने लगती है. छोटी इलायची खाने से एक ओर जहां पाचन क्रिया दुरुस्त होती है वहीं इलायची में मौजूद तत्व मुंह की बदबू दूर करने का काम करते हैं. अगर आपके मुंह से आने वाली दुर्गंध बहुत तेज है तो आप हर समय एक इलायची अपने मुंह में रख सकते
वैवाहिक जीवन को सुखद बनाने में इलायची के इस्तेमाल से सेक्स लाइफ भी बेहतर होती है. इससे शरीर को ऊर्जा तो मिलती है ही साथ ही नपुंसकता में भी इसका सेवन करना फायदेमंद माना जाता है. पाचन क्रिया में विशेष सहायक हमारे समाज में खाना खाने के बाद इलायची खाने का चलन कोई नया नहीं है. खाना खाने के बाद इलायची का सेवन करना काफी फायदेमंद होता है. इसमें मौजूद तत्व खाने को पचाने में मदद करते हैं. साथ ही इसके रासायनिक गुण की वजह अंदरुनी जलन में भी राहत मिलती है. अगर आपको लगातार उल्टी जैसा महसूस हो रहा हो तो भी आप छोटी इलायची का इस्तेमाल कर सकते हैं
गले की खराश दूर करने में अगर आपको गले में खराश की समस्या है तो भी इलायची का सेवन करना फायदेमंद रहेगा. इसके सेवन से गले की दर्द में भी राहत मिलती है. शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थ को दूर करने में इलायची के रासायनिक गुण शरीर में मौजूद फ्री-रेडिकल और दूसरे विषैले तत्वों को दूर करने का भी काम करता है. इससे रक्त भी साफ होता है.
विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)
स्वप्नदोष: आंवले के रस में इलायची के दाने और ईसबगोल को बराबर मात्रा में मिलाकर 1-1 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से स्वप्नदोष में लाभ होता है।
आंखों में जलन होने अथवा धुंधला दिखने पर: इलायची के दाने और शक्कर बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। फिर इसके 4 ग्राम चूर्ण में एरंड का चूर्ण डालकर सेवन करें। इससे मस्तिष्क और आंखों को ठण्डक मिलती है तथा आंखों की रोशनी तेज होती है।
रक्त-प्रदर, रक्त-मूल-व्याधि : इलायची के दाने, केसर, जायफल, वंशलोचन, नागकेसर और शंखजीरे को बराबर मात्रा में लेकर उसका चूर्ण बना लें। इस 2 ग्राम चूर्ण में 2 ग्राम शहद, 6 ग्राम गाय का घी और तीन ग्राम चीनी मिलाकर सेवन करें। इसे रोजाना सुबह और शाम लगभग चौदह दिनों तक सेवन करना चाहिए। रात के समय इसे खाकर आधा किलो गाय के दूध में चीनी डालकर गर्म कर लें और पीकर सो जाएं। इससे रक्त-प्रदर, रक्त-मूल-व्याधि (खूनी बवासीर) और रक्तमेह में आराम होगा। ध्यान रहे कि तब तक गुड़, गिरी आदि गर्म चीजें न खाएं।
कफ: इलायची के दाने, सेंधानमक, घी और शहद को मिलाकर पीने से लाभ मिलता है।
वीर्यपुष्टि: इलायची के दाने, जावित्री, बादाम, गाय का मक्खन और मिश्री को मिलाकर रोजाना सुबह सेवन करने से वीर्य मजबूत होता है।
मूत्रकृच्छ (पेशाब करने में कष्ट या जलन): इलायची के दानों का चूर्ण शहद में मिलाकर खाने से मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन) में लाभ मिलता है।
उदावर्त (मलबंध) रोग पर: थोड़ी सी इलायची लेकर घी के दिये पर सेंकने के बाद उसको पीसकर बने चूर्ण में शहद को मिलाकर चाटने से उदावर्त रोग में लाभ मिलता है।
मुंह के रोग पर: इलायची के दानों के चूर्ण और सिंकी हुई फिटकरी के चूर्ण को मिलाकर मुंह में रखकर लार को गिरा देते हैं। इसके बाद साफ पानी से मुंह को धो लेते हैं। रोजाना दिन में 4-5 बार करने से मुंह के रोग में आराम मिलता है।
सभी प्रकार के दर्द: इलायची के दाने, हींग, इन्द्रजव और सेंधानमक का काढ़ा बना करके एरंड के तेल में मिलाकर देना चाहिए। इससे कमर, हृदय, पेट, नाभि, पीठ, कोख (बेली), मस्तक, कान और आंखों में उठता हुआ दर्द तुरन्त ही मिट जाता है |
सभी प्रकार के बुखार: इलायची के दाने, बेल और विषखपरा को दूध और पानी में मिलाकर तक तक उबालें जब तक कि केवल दूध शेष न रह जाए। ठण्डा होने पर इसे छानकर पीने से सभी प्रकार के बुखार दूर हो जाते हैं।
कफ-मूत्रकृच्छ: गाय का पेशाब, शहद या केले के पत्ते का रस, इन तीनों में से किसी भी एक चीज में इलायची का चूर्ण मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।
उल्टी:
- इलायची के छिलकों को जलाकर, उसकी राख को शहद में मिलाकर चाटने से उल्टी में लाभ मिलता है।
- चौथाई चम्मच इलायची के चूर्ण को अनार के शर्बत में मिलाकर पीने से उल्टी तुरन्त रुक जाती है।
- 4 चुटकी इलायची के चूर्ण को आधे कप अनार के रस में मिलाकर पीने से उल्टी होना बंद हो जाती है।
हैजा:
- 5-10 बूंद इलायची का रस उल्टी, हैजा, अतिसार (दस्त) की दशा में लाभकारी है।
- 10 ग्राम इलायची को एक किलो पानी में डालकर पकायें, जब 250 मिलीलीटर पानी रह जाए तो उसे उतारकर ठण्डाकर लेते हैं। इस पानी को घूंट-2 करके थोड़ी-2 से देर में पीने से हैजे के दुष्प्रभाव, प्यास तथा मूत्रावरोध आदि रोग दूर हो जाते हैं।
जमालघोटा का विष: इलायची के दानों को दही में पीसकर देने से लाभ मिलता है।
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