सुडौल व उन्नत वक्ष आपके सौन्दर्य में चार-चाँद लगा सकते है. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि सुन्दर एवम् सुडौल वक्ष प्रकृति की देन है परन्तु फिर भी उनकी उचित देखभाल से इन्हें सुडौल व गठित बनाया जा सकता है. इससे आपके व्यक्तित्व में भी निखार आ जाता है. अधिकतर महिलाये अपने छोटे ब्रैस्ट को विकसित करना चाहती है उनके लिए दिए गये घरेलु नुस्खे काफी कारगर सिद्ध होंगे. अविकसित वक्ष न तो स्त्री को ही पसंद होते है न ही उनके पुरुष साथी को.
वक्षों का आकार सही न रहने के पीछे अनेक कारण हो सकते है. किसी लम्बी बीमारी से ग्रसित होने के कारण भी वक्ष बेडौल हो सकते है, इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान तथा प्रसव के बाद भी स्तनों का बेडौल हो जाना एक आम बात है. ऐसी अवस्था में स्त्रियों के लिए उचित मात्रा में पौष्टिक व संतुलित आहार लेना अति आवश्यक हो जाता है. उनके भोजन में प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, विटामिन्स, मिनरल्स तथा लौह तत्व भरपूर मात्रा में होने चाहिए. इसके साथ साथ ऐसी स्त्रियों को अपने स्तनों पर जैतुन का लगाकर मालिश करनी चाहिये. ऐसा करने से स्तनों में कसाव आ जाता है. मालिश करने की दिशा निचे से उपर की ओर होने चाहिए.
मालिश करने के बाद ठन्डे व ताज़े पानी से नहाना उचित रहेगा. ऐसा करने से न केवल वक्ष विकसित व सुडौल होने लगेंगे इसके अलावा आपके रक्त संचार की गति में भी तीव्रता आयगी.
वक्ष सौन्दर्य के लिए कुछ सरल उपाय व व्यायाम:-
१. सबसे पहले घुटनों के बल बैठ जाए और दोनों हाथों को सामने लाकर हथेलियों को आपस में मिलाकर पुरे बल से आपस में दबाएँ जिससे स्तनों की मांसपेशियों में खिंचाव होगा. फिर इसके बाद धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए अपनी हथेलियों को ढीला कर दें. इस प्रक्रिया को नियमित रूप से १० से १५ बार करे. ( वक्षों को नहीं दबाना है )
२. इसके अलावा दोनों हाथों को सामने की ओर फैलाते हुए हथेलियों को दिवार से सटाकर पांच मिनट तक दीवारे पर दबाव डालें. ऐसा करने से वक्ष की मांसपेशियों में खिचांव होगा, जिससे वक्ष पुष्ट हो जायंगे.
३. घुटनों के बल चौपाया बन जाए, फिर दोनों कोहनियों को थोडा-सा मोड़ते हुए शारीर के उपरी भाग को निचे की ओर झुकाएं.
अपने शरीर का पूरा भार निचे की ओर डाले. तथा पुनः प्रथम अवस्था में आ जाए. इस व्यायाम को ६ से ८ बार दोहराएँ.
४. आप व्यायाम के अलावा एक नुस्खे को अपनाकर भी ढीले पड़े स्तनों में कसावट लाई जा सकती है. इसके लिए अनार के छिलकों को छाया में सुखा लें. फिर इन सूखे हुए छिलको का महीन (बारीक़) चूर्ण बना लें, अब इस चूर्ण को नीम के तेल में मिलाकर कुछ देर के लिए पका लें. फिर इसे कुछ देर ठंडा होने के लिए छोड़ दें, ठंडा हो जाने के बाद दिन में एक बार इस लेप को वक्षों पर लगायें और तकरीबन एक से दो घंटा लगे रहने के बाद इस लेप को सादे पानी से साफ़ कर लें. इसके नियमित उपयोग से कुछ दी दिनों में आपको लाभ अवश्य दिखने लगेगा.
जो स्त्रियाँ बच्चों को स्तनपान कराती है उन स्त्रियों को अपने वक्षों को देख-रेख की ओर और अधिक ध्यान देने की आवश्कता होती है. बच्चों को स्तनपान कराने से स्तनों में ढीलापन आ जाता है. इसके अलावा उनके लिए कुछ बातों की और ध्यान देना भी जरूरी होता है. उन्हें कभी भी बच्चों को लेटकर स्तनपान नहीं कराना चाहिए, हमेशा बैठकर ही बच्चों को दूध पिलाना चाहिए. साथ ही इस बात का भी विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए कि स्तनपान कर॰ने के लिए दोनों स्तनों का बारी-बारी से उपयोग करना चाहिए. ऐसा न करने से वक्षों के आकार में भिन्नता आ जाती है. जिससे आपके सम्पूर्ण सौन्दर्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
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